आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा का संक्षिप्त इतिहास

सन 1966 तक हरयाणा क्षेत्र पंजाब प्रान्त में सम्मिलित रहा है | आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब का कार्यक्षेत्र पंजाब के अतिरिक्त जम्मू कश्मीर, हिमाचल, दिल्ली तथा हरयाणा तक था | यहाँ के आर्यसमाजों तथा आर्य शिक्षण संस्थाओं का सम्बन्ध आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के साथ था | हरयाणा क्षेत्र में आर्य समाज का आरम्भ से ही प्रभाव रहा है | सन 1938 के हैदराबाद आर्य सत्याग्रह तथा सन 1957 के हिंदी रक्षा आंदोलन आदि जो आर्यसमाज की और से संचालित किये थे, उनमे हरयाणा क्षेत्र के आर्यसमाज के कार्येकर्ताओं ने अन्य क्षेत्रों से अधिक संख्यां में भाग लिया था | आर्य समज के नेताओं ने आर्यसमाज का प्रचार तथा प्रसार के लिए रोहतक, रेवाड़ी, चरखी दादरी आदि में हरयाणा प्रांतीय आर्य महासम्मेलन का भव्य आयोजन किया, जिसमे भारी संख्या में लोग सम्मलित हुए थे | इनमे आर्यसमाज के उच्चकोटि के नेता स्वामी स्वतत्रानन्द जी, स्वामी आत्मानंद जी, पधारे थे | सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा नई दिल्ली ने 22 जनवरी 1951 को प्रस्ताव किया की प्रांतीय आर्य प्रतिनिधि सभाओं और आर्य समाज के कार्यक्षेत्र की सीमा सरकार द्वारा निर्धारित प्रांतीय, प्रदेशीय और स्थानीय सीमाओं के आधार पर मानी जावे | इसी कारण सन 1951 में आर्यसमाजों के अधिकारीयों ने दिल्ली प्रांतीय (हरयाणा) आर्य प्रतिनिधि सभा का गठन किया गया | हरयाणा तथा दिल्ली के ग्रामों की भाषा, संस्कृति तथा रहन सहन समान है | अत: इस सभा में हरयाणा के साथ दिल्ली के ग्रामीण आर्यसमाजों को सम्मिलित किया गया | सी सभा के अंतर्गत अनेक विद्वान, उपदेशक, भजनोपदेशक के रूप में वैदिक धर्म का प्रचार अवेतनिक रूप में करते है | सन 1951 के सार्वदेशिक सभा के प्रस्तावानुसार राजकीय सीमाओं के आधार पर आर्य प्रतिनिधि सभाओ का गठन किया जावे उस निर्देशानुसार दिनांक 20 - 5 - 1969 को दयानंद मठ रोहतक में हरयाणा के आर्यसमाजों के प्रमुख 46 आर्य प्रतिनिधियों की एक बैठक स्वामी नित्यानंद जी महाराज की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमे सर्वसम्मति से आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा का गठन किया गया | इसमे स्वामी नित्यानंद जी प्रधान, स्वामी सोमानन्द जी, महाशय प्रभुदयाल आर्य, तथा वैद्य भरत सिंह आर्य कोषाध्यक्ष तथा श्री वेदपाल वाचस्पति को पुस्ताध्यक्ष चुना गया | नियमानुसार आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा को रजिस्टर्ड करवाने का भी निश्चय किया गया | इस प्रकार रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसाइटी हरयाणा ने 14 जून 1969 को यह सभा विधिवत रजिस्टर्ड की गई |

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सभा के मुख्य कार्यालय सिद्धान्ती भवन रोहतक का उद्घाटन :

आर्य प्रतिनिधि सभा हरयाणा के मुख्य कार्यालय का संचालन अभी तक दयानंद मठ रोहतक के एक कमरे में किया जा रहा था | दयानंद मठ प्रबंधकारिणी सभा ने सभा के कार्यालय निर्माण के लिए 6 बीघे 18 बिस्वे भूमि (खसरा नंबर 1708 ) निःशुल्क प्रदान की | इस भूमि पर कार्यालय भवन का निर्माण कार्य आर्यजगत् के नेता पंडित जगदेव सिंह सिद्धान्ती शास्त्री के जन्मदिवस (दशहरा ) पर दिनांक 8 अक्टूबर 1981 को स्वामी ओमानन्द जी सरस्वती के करकमलों द्वारा यज्ञ की कार्यवाही के साथ हुआ | सभा का उप कार्यालय वैदिकधाम कुरुक्षेत्र तथा गुरुकुल इंद्रप्रस्थ फरीदाबाद में चल रहे है | रोहतक कार्यालय के साथ पंडित रघुवीर सिंह शास्त्री यज्ञशाला तथा ऋषि लंगर की भी व्यवस्था है